चोरगलिया रोड का आज भू-वैज्ञानिक सर्वे, गौला नदी से हो रहे कटाव का आकलन

 

ब्यूरो न्यूज़ स्वतंत्र डंगरिया

 

हल्द्वानी : लगातार बारिश के बीच गौला नदी की धारा से हो रहे कटाव और ढाल कमजोर होने की आशंकाओं को देखते हुए लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने चोरगलिया रोड का आज भू-वैज्ञानिक सर्वे कराना तय किया है। अल्मोड़ा से आने वाली भू-वैज्ञानिक डॉ. प्रिया जोशी जमीन पर निरीक्षण कर रोड सेक्शन-वार जोखिम का मूल्यांकन करेंगी और स्थायी सुरक्षा उपाय सुझाएँगी। विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर प्रत्यूष कुमार ने कहा कि जनहित को देखते हुए फील्ड सर्वे की तैयारी पूरी कर ली गई है।

 

सर्वे का फोकस क्या रहेगा

 

नदी कटाव व चैनल शिफ्ट: गौला की धारा का रोड किनारे कटाव पर प्रभाव, गार्ड-वाल/रीवेटमेंट की आवश्यकता और ऊँचाई का निर्धारण।

 

ढाल स्थिरता: रोड के समीप कमजोर ढलानों/रेत-बजरी पट्टों पर स्लोप-स्टेबिलाइज़ेशन, जियो-टेक्सटाइल/सॉइल-नेलिंग जैसे विकल्प। (क्षेत्र के लिए भूस्खलन संवेदनशीलता के शोध संदर्भ)

 

हाइड्रोलॉजी: बारिश में फ्लैश-फ्लो के समय ओवरटॉपिंग/अंडरकटिंग जोखिम की गणना और जल निकासी सुधार।

 

 

पृष्ठभूमि: हाल में बढ़ी दिक्कतें

 

बीते सप्ताह तेज बारिश के बाद सूखी नदी पुल पर भू-कटाव से बड़ा गड्ढा बन गया था, जिस पर प्रशासन ने एहतियातन यातायात रोककर वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया। इसके पश्चात स्थायी मरम्मत और सुरक्षा कार्यों के निर्देश दिए गए।

उधर शेर नाला स्थान पर पानी बढ़ने से हल्द्वानी–चोरगलिया मार्ग अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी प्रभावित हुई।

 

आगे की कार्रवाई

 

सर्वे रिपोर्ट के आधार पर लोनिवि और सिंचाई विभाग संयुक्त रूप से गार्ड-वाल/टोज़-प्रोटेक्शन, चैनल गाइडेंस, ड्रेनेज अपग्रेड, और स्लोप-स्टेबिलाइजेशन जैसे स्थायी कामों का प्रस्ताव अंतिम रूप देंगे। पहले भी उच्च लागत के कारण कुछ प्रस्ताव लंबित थे; इस बार जोखिम-आधारित प्राथमिकता तय कर अनुमोदन का प्रयास होगा।

 

यातायात व सुरक्षा सलाह

 

प्रशासन की तरफ़ से जारी डायवर्जन/बंद रहने की सूचनाओं का पालन करें और अनावश्यक यात्रा से बचें।

 

भारी वर्षा के दौरान नदी-नालों के पास वाहन खड़ा न करें; जलभराव दिखे तो वैकल्पिक मार्ग लें। (सामान्य सलाह)

 

 

बड़े परिप्रेक्ष्य में

 

राज्य स्तर पर भूस्खलन जोखिम कम करने के लिए GSI संवेदनशील जिलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम का परीक्षण कर रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थानीय स्तर पर भू-वैज्ञानिक सर्वे के साथ चेतावनी प्रणालियाँ मिलकर जान-माल के नुकसान को घटा सकती हैं।

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