उतराखंड: आपदा ने 5,125 गाँवों में छोड़ दिए बर्बादी के निशान — राहत व पुनर्वास कार्य तेज
ब्यूरो न्यूज़ स्वतंत्र डंगरिया
देहरादून, 13 सितंबर 2025 — हालिया बारिश-तूफान और भूस्खलनों के कारण उत्तराखंड के पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों में व्यापक तबाही दर्ज की गई है; शुरुआती रजिस्ट्री में 5,125 गाँवों को आपदा-प्रभावित पाया गया है जहाँ घर, सड़कें, विद्युत-और संचार अवसंरचना तथा खेती को भारी नुकसान हुआ है।
प्रमुख बिंदु
कितने प्रभावित: राज्य में कुल 5,125 गांव (विभिन्न जिलों में विभाजित) आपदा से प्रभावित या क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर शामिल बताए जा रहे हैं।
विद्युत व संचार को नुकसान: प्रारम्भिक आंकड़ों के अनुसार लगभग 1,070 किलोमीटर विद्युत लाइन, 5,988 पोल और 419 ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए हैं — जिससे हजारों घरों में बिजली और संचार सेवायें बाधित रहीं। मरम्मत के लिये विभाग जुटा हुआ है।
जिला वार असर (प्रारम्भिक): रुद्रप्रयाग — 297 प्रभावित गाँव; ऊधमसिंह नगर — 232; पिथौरागढ़ — 73; उत्तरकाशी — 468; नैनीताल — 98; बागेश्वर — 50; अन्य जिलों में भी व्यापक प्रभाव देखा गया। (स्थानीय सर्वे जारी) ।
घटनाक्रम और भौगोलिक प्रभाव
मॉनसून के सक्रिय दौर और कुछ स्थानों पर क्लाउडबर्स्ट/तेज बारिश के कारण पहाड़ी ढलानों पर मलबा-बहाव व भूस्खलन हुए। नदीनालों का जलस्तर अचानक बढ़ने से पुल, रोड-सेक्शन और समीपवर्ती बस्तियों को नुकसान पहुँचा; कई जगह संपर्क मार्ग कट गए जिससे बचाव-राहत कार्यों में रुकावट आई। पिछले महीनों में हुई फ्लैश-फ्लड घटनाओं ने भी प्रभावित इलाकों की संवेदनशीलता बढ़ा दी थी।
राहत तथा सरकारी प्रतिक्रिया
राहत-कार्यों की शुरुआत: राज्य और केन्द्र की आपदा टीमों (NDRF, SDRF, ITBP सहित) ने प्रभावित इलाकों में तत्काल राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं; चिकित्सा शिविर, अस्थायी आवास और राशन के वितरण की व्यवस्था संचालित की जा रही है।
केन्द्रीय मदद व वित्तीय पैकेज: केन्द्र ने फौरन सहायता भेजने तथा नुकसान का विस्तृत आकलन कराने के निर्देश दिये हैं; प्रधानमंत्री के 1,200 करोड़ रुपये के अनुदान की भी चर्चा रही — किन्तु कुछ राजनैतिक व विशेषज्ञ नवदला यह रकम पर्याप्त न मान रहे हैं और विस्तृत पुनर्निर्माण/लंबी अवधि की योजना की मांग कर रहे हैं।
नागरिक समस्याएँ — बिजली, संचार और संपर्क कटाव
विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर के बड़े हिस्से के क्षतिग्रस्त होने से कई बेसिक सेवाएँ ठप रहीं। दूरसंचार टावरों व नेटवर्क के बाधित होने से प्रभावित इलाकों में सूचनाओं का आदान-प्रदान भी धीमा हुआ; मरम्मत दलों को कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में कार्य करना पड़ रहा है। प्रशासन ने प्राथमिकता के आधार पर संपर्क बहाल करने और प्राथमिक सेवाएँ चालू रखने के निर्देश दिये हैं।
विशेषज्ञों की राय और दीर्घकालिक चुनौतियाँ
आपदा-प्रभाव का प्रारम्भिक साक्ष्य दर्शाता है कि उत्तराखंड में न केवल तत्काल राहत की जरूरत है बल्कि दीर्घकालिक तैयारी — पहाड़ी क्षेत्रों का रिस्क-मैपिंग, नदी-तटों की निगरानी, क्लाउडबर्स्ट-सेंसिंग, और जलनिकासी/कन्क्रीट संरचनाओं के पुनःनिर्माण पर भी जोर देना अनिवार्य है। NDMA ने भी जोखिम मापन और सतत् पुनर्निर्माण की रणनीति बनाने पर बल दिया है ताकि भविष्य में ऐसे नुकसान कम हों।
प्रभावित लोगों के लिए तत्काल सलाह
1. यदि आप प्रभावित इलाके में हैं तो उच्च स्थानों की ओर जाएँ; नदी-तटों से दूर रहें।
2. स्थानीय प्रशासन तथा आपदा प्रबंधन केन्द्रों की सूचनाओं का पालन करें।
3. पानी/राशन, प्राथमिक औषधियाँ और दस्तावेज़ों को सुरक्षित स्थान पर रखें।
4. बिजली की तारों और क्षतिग्रस्त संरचनाओं के निकट न जाएँ; घायल लोगों के लिये नज़दीकी हेल्थ-केंद्र को सूचित करें।
आगे का रास्ता — पुनर्वास व समन्वयित योजना
प्रारम्भिक रिपोर्टों के आधार पर राज्य सरकार और केंद्र एक विस्तृत Post-Disaster Needs Assessment (PDNA) कराएँगे ताकि बुनियादी ढाँचे की मरम्मत, घरों की पुनर्बहाली व किसानों के आय-नुकसान की भरपाई के लिए लक्ष्यित बजट और परियोजनाएँ निर्धारित की जा सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि पुनर्निर्माण के साथ-साथ पर्यावरण-सेंसिटिव और क्लाइमेट-रेज़िलिएंट उपाय अपनाना अनिवार्य होगा।
जिला-वार प्राथमिक माँगें (स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार)
चमोली/उत्तरकाशी: सड़क और पुलों का बह जाना; अनेक अल्पआय व पर्यटन-आधारित परिवारों को घरों का नुकसान।
रुद्रप्रयाग: 297 गांव प्रभावित — आपूर्ति मार्गों की बहाली प्राथमिक चुनौती।
ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर: मैदानी व पहाड़ी दोनों तरह के इलाकों में भिन्न-भिन्न नुकसान; स्थानीय स्तर पर राहत एवं बुनियादी सुविधाओं की बहाली जारी।